रायपुर। छत्तीसगढ़ की साय सरकार की तरफ से नक्सल उन्मूलन की दिशा में कई बड़े कदम उठाये गए हैं। इनमे एक तरफ जहां हथियारबंद नक्सलियों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया जा रहा हैं तो सरकार दूसरी तरह इस समस्या के समाधान के लिए वार्ता की कोशिश भी कर रही हैं। गृहमंत्री विजय शर्मा ने पहले ही साफ़ कर दिया था की मुठभेड़ उनके नक्सल उन्मूलन का महज 20 फ़ीसदी हिस्सा हैं। वह चाहते हैं कि माओवादी नेताओं से बेहतर माहौल में वार्ता कर इस समस्या का निपटारा किया जाये।
गृहमंत्री ने इससे पहले नक्सलियों को वीडियो कॉलिंग या फिर मध्यस्थ के माध्यम से भी बात करने का आमंत्रण भेजा था लेकिन यह कवायद अबतक सफल नहीं रही। वही पिछले दिनों सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि वह समर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की नीति को बेहतर करना चाहते हैं। इस सम्बन्ध में गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों के लिए एक प्रपत्र जारी करते हुए उनके सुझाव मांगे थे।
बहरहाल इस पूरे मामले को लेकर नक्सलियों की तरफ से चार पन्ने का पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में माओवादी नेताओं ने सरकार के उन सवालों का जवाब भी दिया हैं जो उनसे पूछे गए थे। पत्र में नक्सलियों ने सरकार पर आरोप लगाए हैं। उनका मानना हैं कि सरकार एक तरफ निःशर्त वार्ता का दावा करती हैं जबकि दूसरी तरफ उनकी तरफ से कई शर्ते लाद दी जाती हैं। ऐसे में बातचीत संभव नहीं हैं। पत्र में नक्सलियों ने अपने आंदोलन को जनता का आंदोलन बताते हुए कहा हैं कि उनका आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हुआ हैं। अपने खत में नक्सलियों ने दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम का जिक्र किया हैं।