मानसून आते ही छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ने लगे डायरिया के मरीज! बच्चों को ज्यादा खतरा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून के आते ही डायरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में डायरिया के मरीजों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है, जिसमें सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक जुलाई से ‘स्टॉप डायरिया’ अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इसका प्रभाव अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है।

जनवरी से अब तक प्रदेशभर में डायरिया के 10,830 मरीज सामने आ चुके हैं, जिसमें सबसे अधिक बीजापुर (1,306) और रायपुर (1,036) के मरीज शामिल हैं। अब तक डायरिया से पांच मौतें हो चुकी हैं, हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इससे इनकार किया है।

अस्पतालों में बढ़ रही है मरीजों की संख्या

राजधानी रायपुर के सबसे बड़े अस्पताल, आंबेडकर अस्पताल में प्रतिदिन 25 से 30 बच्चे डायरिया के इलाज के लिए आ रहे हैं, जबकि जिला अस्पताल में प्रतिदिन 15 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। अधिकांश बच्चे ओपीडी में ही ठीक हो जा रहे हैं और केवल एक-दो को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।

विशेषज्ञों की राय

शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान कई बीमारियों की आशंका रहती है, जिसमें डायरिया प्रमुख है। दूषित जल के सेवन से होने वाली यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर सकती है और बच्चों के लिए यह अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। यह बच्चों को तेजी से कमजोर कर देती है।

डायरिया रोकने के लिए अभियान

प्रदेश में डायरिया से होने वाली मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ‘स्टॉप डायरिया’ अभियान को इस वर्ष 15 दिनों से बढ़ाकर दो महीने का कर दिया है, जो 31 अगस्त तक चलेगा। केंद्र सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों, जिला और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, स्कूल शिक्षा विभाग के सभी शिक्षा अधिकारियों, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारियों, नगर निगम और नगर पालिका अधिकारियों, और लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग के सभी कार्यपालन अभियंताओं को गाइडलाइन जारी की है।

डायरिया के लक्षण और बचाव

डायरिया के प्रमुख लक्षणों में बार-बार मल त्याग करना, मल का पतला होना, पेट के निचले भाग में दर्द और बेचैनी शामिल हैं। बीमारी बढ़ने पर आंतों में मरोड़ और तेज दर्द भी हो सकता है। निर्जलीकरण की स्थिति में मरीज कमजोरी महसूस करता है और बुखार आ सकता है। शरीर में पानी और खनिज तत्वों की कमी से मरीज बेहोश हो सकता है और स्थिति जानलेवा हो सकती है।

डायरिया से बचाव के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वस्थ जीवन-शैली जरूरी है। तेल-मसाले वाले खाने से परहेज करना चाहिए और साफ पानी का सेवन करना चाहिए।

रायपुर आंबेडकर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आकाश लालवानी का कहना है कि डायरिया से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं, लेकिन अधिकांश दवा से ही ठीक हो जाते हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वस्थ जीवन-शैली का पालन करके डायरिया से बचा जा सकता है।

रायपुर जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय मोझेकर का कहना है कि छोटे बच्चों को डायरिया होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह बीमारी बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर डाल सकती है। बारिश के मौसम में पेयजल का विशेष ध्यान रखना चाहिए और बाहर की चीजें खाने से परहेज करना चाहिए।

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