रायपुर के बहुचर्चित हत्याकांड रामावतार जग्गी (तारु जग्गी) हत्याकांड का फैसला न्यायालय ने सुना दिया है इसमें सभी नामजद 25 लोगों को सजा दी गई है। न्यायालय ने मुख्य आरोपी वर्तमान महापौर के बड़े भाई याहया ढेबर को बताया गया है।छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 में हीरा कारोबारी राम अवतार जग्गी की मौदहापारा इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी समेत 25 लोगों को आरोपित बनाया गया था।इस मामले को लेकर उन दिनों अमित जोगी को बाइज्जत बरी कर दिया गया था, लेकिन बाकी 24 आरोपियो पर आरोप सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई थी।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जग्गी हत्याकांड केस में अमित जोगी को बाइज्जत बरी करने पर राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने आपत्ति जतातेहुए बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस याचिका पर सुनवाई चल रही थी।वहीं अमित जोगी याचिका पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।अमित जोगी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने से पहले बिलासपुर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली।
अभियुक्तों की तरफ से उनके अधिवक्ताओं ने बहस की। उन्होंने हत्याकांड में पर्याप्त सबूत बिना सजा देने की बात कही।वहीं सीबीआई की तरफ से भी तर्क प्रस्तुत किया गया और बताया गया कि किस आधार पर हत्याकांड की जांच कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश किया गया था। हाईकोर्ट ने सभी पक्ष को सुनने के बाद महत्वपूर्ण फैसला देते हुए आरोपियों की अपील ख़ारिज कर दी है.
इस फैसले के बाद जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ सकती है।बता दें कि इस बहुचर्चित हत्याकांड के आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने तत्कालीन सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को दोष मुक्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। वहीं रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित को दोष मुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर अमित के पक्ष में स्टे है।
इधर, हाईकोर्ट में अपील पर मृतक स्व रामावतार जग्गी के पुत्र सतीश जग्गी द्वारा अमित जोगी के दोषमुक्ति के खिलाफ पेश क्रिमिनल अपील पर उनके अधिवक्ता बीपी शर्मा तर्क दिया और बताया कि हत्या कांड की साजिश तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित थी, जब सीबीआई की जांच शुरू हुई तब सरकार के प्रभाव में सारे सबूतों को मिटा दिया गया था। ऐसे केस में सबूत महत्वपूर्ण नहीं है. बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश जरूरी है। लिहाजा, इस केस के आरोपियों को सबूतों के आभाव में दोष मुक्त नहीं किया जा सकता।
अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फ़िरोज़ सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह व अन्य, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्रसिंह रवि सिंह, लल्ला भदौरिया धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठोर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर सहित अन्य शामिल हैं।